💐* भक्तमाल कथा *💐
🌹 *भवसागर से पार कराने वाले भगवद्भक्त*🌹 ❗ *सदन कसाई*❗ प्राचीन समय में सदन नामक कसाई जाति के एक भक्त हो गए हैं । यद्यपि यह जाति से कसाई थे । फिर भी इनका हृदय दया से पूर्ण था ।आजीविका के लिए और कोई उपाय ना होने से दूसरों के यहां से मांस लाकर बेचा करते थे स्वयं अपने हाथ से पशु वध नहीं करते थे ।इस काम में भी इनका मन लगता नहीं था ।पर मन मार कर जाति व्यवसाय होने से करते थे ।सदन का मन तो श्री हरि के चरणों में रम गया था । रात दिन वे केवल हरि हरि करते रहते थे । भगवान अपने भक्तों से दूर नहीं रहा करते । सदन के घर में वे शालग्राम रूप से विराजमान थे । सदन को इसका पता नहीं था ।वे तो शालग्राम को पत्थर का एक बाट समझते थे और उससे मांस तौला करते थे। एक दिन एक साधु सदन की दुकान के सामने से जा रहे थे ।दृष्टि पड़ते ही वे शालाग्राम जी को पहचान गए । मांस विक्रेता कसाई के यहां अपवित्र स्थल में शालग्राम जी को देखकर साधु को बड़ा क्लेश हुआ । सदन से मांग कर वे शालिग्राम को ले गए । सदन ने भी प्रसन्नता पूर्वक साधु को अपना वह चमकीला बाट दे दिया ।साधु बाबा कुटिया पर पहुँचे ।उन्होंने विधिपूर्वक शालग्राम जी की पूजा