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Showing posts from June, 2020

भारत चीन विवाद

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गलवान नदी काराकोरम रेंज के पूर्वी छोर में समलिंगम से निकलती है और फिर पश्चिम में बहते हुए श्योक नदी में मिल जाती है, भारतीय सैनिक इस नदी की घाटी में गास्ट करते रहते हैं, ताकि चीन के अतिक्रमण को रोका जा सके। अब इसी नदी पर भारत की ओर से पुल का निर्माण किया जा रहा है, गलवां नदी की यह घाटी अक्साई चीन एवम् लद्दाख के बीच एल ए सी के निकट स्थित है। यह घाटी भारत की तरफ लद्दाख से लेकर चीन के दक्षिणी शिन जियांग तक फैली है।यह भारत के लिए सामरिक दृष्टिकोण से अत्यंत महत्वपूर्ण क्षेत्र है, क्योंकि यह चीन और पाकिस्तान दोनों के साथ लगा हुआ है। 1962 में भारत और चीन युद्ध के दौरान भी यही घाटी ( गलवान  नदी) लड़ाई का मैदान बनी थी। सेटेलाइट की तस्वीरों से पता चलता है कि चीन ने गलवान घाटी के मध्य तक पक्की सड़क का निर्माण कर लिया है,यहां चीन ने छोटी छोटी चौकियों का भी निर्माण कर लिया है, ऐसी तनाव की स्थिति में भारत ने अपने पुल निर्माण के कार्य तेज कर दिया है ताकि चीन के अतिक्रमण को रोका जा सके।   इस संबंध में सामरिक मामलों के एक जानकार ने बड़ी महत्वपूर्ण जानकारी दी है:   बरसों से सीमा पर चीन ए

सामान्य मनुष्य के शौक़

हम जैसे सामान्य व्यक्ति के जीवन की कई व्यथाएं हैं ;  हमारी जिंदगी के तंबू के चार बम्बू होते हैं बाप के हिसाब से पढ़ाई... बाप के अरमानों के अनुरूप सरकारी नौकरी का प्रयत्न.. बाप की नाक ऊंची कर देने वाली शादी... बीवी बच्चों को बढ़िया जिंदगी देने का संघर्ष.. अब जिसकी गाँ$ में चार चार बम्बू ठसे हुए हों अपने जीने के लिए क्या जगह होगी भला..... पर हॉबी होना तो मांगता है न .... अब फोटोग्राफी, जानवर पालना, खेल, घूमना, पढ़ना (साहित्य वगैरह) अगर ऐसा कोई कीड़ा होता भी है तो हमें  उसके भीतर घुसने की जगह ही नहीं मिलती... फोटोग्राफी इत्यादि का शौक़ तो जैसे पालना हाथी पालना होता है हम जैसों के लिए। कुत्ता पालने की इक्षा मर जाती है के साला जो थोड़े पैसे मिलते हैं जिनसे दोस्तों के साथ दारू सुट्टा देखूं या कुत्ते को बिस्किट खिलाएं,  खेल मोहल्ले के बगल के ग्राउंड में ईंट टिका खेली क्रिकेट भर होता है इसके आगे की औकात कभी बनती नहीं,  साहित्य सुरेंद्र मोहन पाठक से चालू हो प्रेमचंद होते हुए मस्तराम पर खत्म..... अब मस्तराम हो या प्रेमचंद पढ़ना बाप से छिपकर ही है काहे कि अंग्रेज़ी की ग्रामर और गणित के अलावा कच्छु और पढ़

सुशांत सिंह राजपूत की आत्महत्या पर:

तनाव के उन क्षणों में मजबूत लोग भी आत्महत्या कर लेते हैं.. वो लोग जिनके पास सब कुछ है  शान ... शौकत ... रुतबा ... पैसा .. इज्जत  इनमें से कुछ भी उन्हें नहीं रोक पाता ..   तो फिर क्या कमी रह जाती है ??? कमी रह जाती है उस ऊँचाई पर  एक अदद दोस्त की कमी होती है  उस मुकाम पर  एक अदद राजदार की एक ऐसे दोस्त की जिसके साथ "चांदी के कपों" में नहीं  किसी छोटी सी चाय के दुकान पर बैठ  सकते .. जो उन्हें बेतुकी बातों से जोकर बन कर  हंसा पाता ... वह जिससे अपनी दिल की बात कह हल्के हो सके.. वह जिसको देखकर अपना स्ट्रेस भूल सके वह दोस्त वह यार  वह राजदार  वह हमप्याला उनके पास नहीं होता  जो कह सके तू सब छोड़ ... चाय पी मैं हूं ना तेरे साथ ... और आखिर में  यही मायने कर जाता है... सारी दुनिया की धन दौलत एकतरफ...सारा तनाव एक तरफ .. वह दोस्त वह एक तरफ !!! लेकिन अगर आपके पास  वह दोस्त है वह यार है तो कीमत समझिये उसकी...  चले जाइए एक शाम उसके साथ  चाय पर ...  जिंदगी बहुत हसीन बन जाएगी......  याद रखिए आपके तनाव से यदि कोई लड़ सकता है तो वो है आपका दोस्त और उसके साथ की एक कप गर्म चाय !!! : डरते थे कभी तन

"इलाहाबाद " ख्वाबों का शहर

हनुमान जी जैसे कर्मठी व्यक्ति भी जिस शहर में आकर लेट गये उसी का नाम है इलाहाबाद “हनुमान” जैसा कर्मठी व्यक्ति भी इस शहर में आकर लेटे हनुमान हो गया। कभी-कभी मैं सोचता हूं कि क्या हनुमान जी ने किसी विद्यार्थी के कमरे पर दाल भात चोखा तो नहीं न खा लिया था जो अलसिया के सो गये? माया है भईया इस शहर कि यहां सीनियर “चीन” बनके रहता है और जूनियर “ताइवान”.. हॉस्टल में रहने वाला “अमेरिका” तो डेलिगेसी में रहने वाला उस की सरपरस्ती में पलने वाला “दक्षिण कोरिया”। यहां रहकर आप कुछ सीख पाएं या न सीख पाएं “डीलिंगबाजी” और शानदार “खाना बनाना” जरूर सीख जाएंगे और “फेमिनिज्म” के लिहाज से यह एक प्रगतिशील कदम है। दुनिया के किसी भी शहर में रहने वाला व्यक्ति अपने शहर को और अपने विश्वविद्यालय को इतना याद नहीं करता होगा जितना कि इस शहर के लोग और हा अगर जान का डर न रहे तो वह अपनी छाती फाड़ के दिखा दें कि यह शहर उन के दिल में बसा हुआ है …और आखिर हो भी क्यों ना…! यह शहर उनके लिए केवल शहर नहीं है वरन् उनके जीवन का वह बेहतरीन वक़्त है जिसमे उन्होंने खुद को निर्मित किया है परिमार्जित किया है। यहां उन्हें वह लोग मिले हैं जि