विवाह और गारी(गाली)

💐💐।।*विवाह और गारी(गाली)*।।💐💐
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--विवाह सुरु से ही समाज मे आकर्षण का केंद्र रहा है, ब्यक्ति, परिवार, समाज तीनों इसके उमंग से भरे होते हैं।
--------------------------------बीच के कुछ काल खंड को अगर छोड़ दिया जाए तो शादी बहुत ही प्रेम और सदभाव वातावरण में होती रही है, बीरकाल में ही दिखता है कि----
  "'आधे माडव भाँवर घूमे, आधे झमक चले तलवार"'
----------------------------शादी में गारी का प्रचलन सुरु से रहा है, बारात लेकर आने से लेकर जाने तक, हर रस्म पे गारी दो परिवारों को ही नही दो समाज के बीच मधुर संबंध जोड़ देती थी।
-------------------------------आज की शादियों में तो पता नहीं चलता कि कब लोग आए कब गये, कौन आया, कौन खाया, बुलाने वाला भी नही जानता।पहले ये नही था, तीन दिन की शादी में, बाराती और घराती सच में रिस्तेदार बन के जाते थे, और गारी उनके संबंधों को सीमेंट की तरह जोड़ देती थी।
---------------------------आइये हमारे पृर्वांचल की शादी में चलिये और गारी के साथ समाज से जुड़िये।बारात द्वार पे आते ही, गांव की औरते और लड़कियां, अपनी अभिव्यक्ति, आत्मविश्वास, और सेंस ऑफ ह्यूमर का प्रदर्शन करते हुए दो समाज को जोड़ने में लग जाती हैं।
---चला देख आई,जौनपुर क टी, डी,कालेज।-चला देख आई।
---दुलहा क बहिनी न पढे में तेज,न पढ़ावे में तेज।
--अरे नौ, नौ लड़का पटावे में तेज।। चला देख आई----
-----------------------------अगर द्वार पूजा में देर हुई तो भूखे माँ बाप की कन्या दान को देखते हुए गारी मिलती है।
---दुलहा साले काहे अइला लेट,, खइबा पीठिया में दुइ बेत।।
--मम्मी पापा कैसे देहिये कन्या दनवा ना----
--------------------------------दूल्हा के बाद समाज के लोगों का नम्बर आता है, बारात में किसी सम्मानित ब्यक्ति के लिए सुरु होता है---
  ""दुलहा आई गये काशी बनारस से, दुलहा आई गये--
 अरे राजेश सिंह तोहरी बहन को---
    अदलवाय देंगे, बदलवा य देंगे।
नया ट्रैक्टर मंगा के जुतवाय देंगे।।
 थरमामीटर मंगा के नपवाय देंगें।
पटवारी के संग घुमवाय देंगे।।
---------------------द्वारपूजा पे पहला संग्राम ये बताता है कि लड़की वालों को कम मत जानों, तब जयमाल होता नही था, बाराती खाने पे आते थे तो उनकी अकड़ निकाली जाती थी----
  --खाना बंद करो सालो, सुनो गाली, खाना बंद करो।।
--सादा मोबाइल पे एतना गुमान, अरे एतना गुमान।
जब टच वाला लेबा तो चलबा उतान, चलबा उतान,।।--खाना बंद करो।।
-------------------------फिर शादी के मंडप में दूल्हा का नम्बर फिर आ जाता था---
--दुलहा के मोछ, जैसे बकरी का पोछ,-सब देख सखिया रे--
--इत्ती सुंदर लड़की के छछूंदर मिलल दुलहा, देख सखिया रे---
---------------------------मंडप में रोमांचक गालियों के बीच शादी पूरी कराई जाती थी, कोहबर में भी लड़के को बख्शा नही जाता था, वहाँ भी बताया जाता था कि आप के परिवार के लोग कैसे है, जैसे तुम्हारी माँ---
--माई हो गई पुरानी, चढ़ी रही जब जवानी,
देवानंद की दीवानी, सूना सूना।।
--जितेंदर, धर्मेंदर, दिलीपो कुमार,
अमिताभ करे प्यार, सूना सूना।।
--------------------------खिचड़ी के समय अक्सर कुछ ना कुछ मांग हो जाती थी, शादी होने के बाद लड़की वाले भी अकड़ जाते थे---
--घरे ना सैकिलियो, माँगेला हीरो होंडा।
              उठा के मारब डंडा, होइ जाबे सरऊ ठंडा।
             उठा के मारब डंडा।
-----------------आज तेजी के साथ परिवर्तन में गाली ही नहीं बन्द हुई, रिश्तों को बांधने वाला सीमेंट खतम हो गया है, गाली अपमान जनक भाषा नही रिश्तों की मिठास है, मधुर संबंध का अहसास है, याद करके गुनगुनाइए देखिये अपने आप मे अपने को पाएंगे।☺️☺️💐💐💐

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